Sunday, August 30, 2015

Prime Minister Modi reaches out to the nation, addresses 11th edition of #MannKiBaat

मेरे प्यारे देशवासियो, आप सबको नमस्कार। फिर एक बार, मन की बातें करने के लिए, आपके बीच आने का मुझे अवसर मिला है। सुदूर दक्षिण में लोग ओणम के पर्व में, रंगे हुए हैं और कल पूरे देश ने रक्षाबंधन का पावन पर्व मनाया। भारत सरकार ने, सामाजिक सुरक्षा को लेकर के कई नई-नई योजनायें, सामान्य मानवों के लिए लागू की हैंI मुझे ख़ुशी है कि बहुत कम समय में, व्यापक प्रमाण में, सबने इन योजनाओं को स्वीकारा है। 

मैंने एक छोटी सी गुज़ारिश की थी कि रक्षाबंधन के पर्व पर हम अपनी बहनों को ये सुरक्षा योजना दें। मेरे पास जो मोटी-मोटी जानकारी आई है कि योजना आरम्भ होने से अब तक ग्यारह करोड़ परिवार इस योजना से जुड़े हैं। और मुझे ये भी बताया गया कि, क़रीब-क़रीब आधा लाभ, माताओं-बहनों को मिला है। मैं इसे शुभ संकेत मानता हूँ। मैं सभी माताओं-बहनों को रक्षाबंधन के पावन पर्व की अनेक-अनेक शुभकामनायें भी देता हूँ। 

आज जब मैं आपसे बात कर रहा हूँ, जन-धन योजना को एक वर्ष पहले बड़े पैमाने पर हाथ में लिया गया था। जो काम साठ साल में नहीं हुआ, वो इतने कम समय में होगा क्या? कई सवालिया निशान थे। लेकिन मुझे आज ख़ुशी है कि इस योजना को लागू करने से संबंधित सरकार की सभी इकाइयों ने, बैंक की सभी इकाइयों ने, जी-जान से सब जुट गये, सफ़लता पाई और अब तक मेरी जानकारी के अनुसार क़रीब पौने अठारह करोड़ बैंक खाते खोले गए। सत्रह करोड़ चौहत्तर लाख। मैंने गरीबों की अमीरी भी देखी। ज़ीरो बैलेंस से खाता खोलना था लेकिन गरीबों ने बचत करके, सेविंग करके बाइस हज़ार करोड़ की राशि जमा करवाई। अर्थव्यवस्था की मुख्य धारा, बैंकिंग क्षेत्र भी है और ये व्यवस्था ग़रीब के घर तक पहुँचे इसलिए बैंक-मित्र की योजना को भी बल दिया है। आज सवा लाख से भी ज़्यादा बैंक-मित्र देश भर में काम कर रहे हैं। नौजवानों को रोज़गार भी मिला है। आपको जानकर के ख़ुशी होगी कि इस एक वर्ष में, Banking sector, अर्थव्यवस्था और ग़रीब आदमी - इनको जोड़ने के लिए एक लाख इकत्तीस हज़ार Financial Literacy कैम्प लगाये गए हैं। सिर्फ़ खाते खोलकर के अटक नहीं जाना है और अब तो कई हजारों लोग इस जन-धन योजना के तहत overdraft लेने के हक़दार भी बन गए और उन्होंने लिया भी। और ग़रीब को बैंक से पैसा मिल सकता है ये विश्वास भी पैदा हुआ। मैं फिर एक बार, संबंधित सब को बधाई देता हूँ और बैंक के अकाउंट खोलने वाले सभी, ग़रीब से ग़रीब भाइयों-बहनों को भी आग्रह करता हूँ, कि, आप बैंक से नाता टूटने मत दीजिये। ये बैंक आपकी है, आपने इसको अब छोड़ना नहीं चाहिये। मैं आप तक लाया हूँ, अब उसको पकड़ के रखना आपका काम है। हमारे सबके खाते सक्रिय होने चाहियेI आप ज़रूर करेंगे, मुझे विश्वास है। 

पिछले दिनों गुजरात की घटनाओं ने, हिंसा के तांडव ने, सारे देश को बेचैन बना दिया और स्वाभाविक है कि गाँधी और सरदार की भूमि पर कुछ भी हो जाए तो देश को सबसे पहले सदमा पहुँचता है, पीड़ा होती है। लेकिन बहुत ही कम समय में गुजरात के प्रबुद्ध, सभी मेरे नागरिक भाइयों और बहनों ने परिस्थिति को संभाल लिया। स्थिति को बिगड़ने से रोकने में सक्रिय भूमिका निभाई और फिर एक बार शांति के मार्ग पर गुजरात चल पड़ा। शांति, एकता, भाईचारा यही रास्ता सही है और विकास के मार्ग पर ही कंधे से कंधा मिलाकर के हमें चलना है। विकास ही हमारी समस्याओं का समाधान है। 

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